रेशमकीट पालन
कच्चा रेशम बनाने के लिये रेशम में कीटों का पालन रेशम उत्पादन (Sericulture) या रेशमकीट पालन कहलाता है।
रेशम उद्योग की विशेषताएँ
[संपादित करें]- कृषि पर आधारित कुटीर उद्योग है।
- ग्रामीण क्षेत्र में ही कम लागत में इस उद्योग में शीघ्र उत्पादन प्रारम्भ किया जा सकता है।
- कृषि कार्य एवं अन्य घरेलू कार्यों के साथ-साथ इस उद्योग को अपनाया जा सकता है।
- श्रम जनित होने के कारण इस उद्योग में विभिन्न स्तरों पर रोजगार सृजन की भरपूर संभावनायें निहित है, विशेषकर महिलाओं के खाली समय के सदुप्रयोग के साथ-साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाने में सहायक है।
- इस उद्योग को सुखोनमुख क्षेत्रों में भी सफलतापूर्व स्थापित करते हुए नियमत आय प्राप्त की जा सकती है।
- पर्यावरण मित्र
भारत में रेशम उत्पादन
[संपादित करें]रेशम भारत के जीवन में रच बस गया है। हजारों वर्षों से यह भारतीय संस्कृति और परम्परा का अभिन्न अंग बन गया है। कोई भी अनुष्ठान रेशम के उपयोग के बिना पूरा नहीं होता है।
रेशम उत्पादन में भारत चीन के बाद दूसरे नम्बर पर आता है। रेशम के जितने भी प्रकार हैं, उन सभी का उत्पादन किसी न किसी भारतीय इलाके में होता ही है। भारतीय बाजार में इसकी खपत भी काफी है। विशेषज्ञों के अनुसार, रेशम उद्योग के विस्तार को देखते हुए इसमें रोजगार की काफी संभावनाएं हैं और आनेवाले दिनों में इसका कारोबार और फलेगा-फूलेगा। फैशन उद्योग के काफी करीब होने के कारण भी इसकी मांग में शायद ही कभी कमी आए।
पिछले तीन दशकों से, भारत का रेशम उत्पादन धीरे-धीरे बढ़कर जापान और पूर्व सोवियत संघ देशों से ज्यादा हो गया है, जो कभी प्रमुख रेशम उत्पादक हुआ करते थे। भारत इस समय विश्व में चीन के बाद कच्चे सिल्क का दूसरा प्रमुख उत्पादक है। वर्ष 2009-10 में इसका 19,690 टन उत्पादन हुआ था, जो वैश्विक उत्पादन का 15.5 फीसदी है। भारत रेशम का सबसे बड़ा उपभोक्ता होने के साथ-साथ पांच किस्मों के रेशम-मलबरी, टसर, ओक टसर, एरि और मुगा सिल्क का उत्पादन करने वाला अकेला देश है और यह चीन से बड़ी मात्रा में मलबरी कच्चे सिल्क और रेशमी वस्त्रों का आयात करता है। भारत के रेशम उत्पादन में वर्ष 2009-10 में पिछले वर्ष की तुलना में 7.2 फीसदी वृद्धि हुई। टसर, एरि और मुगा जैसे वन्य सिल्क के उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2009-10 में 22 फीसदी वृद्धि हुई। रेशम की इन किस्मों का उत्पादन मध्य और पूर्वोत्तर भारत के जनजातीय लोग करते हैं। वन्य सिल्क को ‘‘पर्यावरण के अनुकूल हरित रेशम’’ के रूप में बढ़ावा देने और वैश्विक बाजार में विशेष बाजार तैयार किए जाने की व्यापक सम्भावना है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- रेशम विकास विभाग, उत्तर प्रदेश
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए रेशम कीट पालन
- रेशम कीट पालन सम्पूर्न ज्ञान
- रेशम उत्पादन
- Smithsonian sericulture history
- Central Silk Board INDIA
- Sericultural Research & Training Institute Mysore India
- Sericulture India Development Gateway
- रेशम कीड़ा जीवन चक्र तस्वीरें