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दाँत

विक्षनरी से
मनुष्य के दाँत

संज्ञा

  1. मुख के अंदर हड्डी जैसे वस्तु, जो चबाने के लिए उपयोग होते है

अनुवाद

व्युत्पत्ति

संस्कृत दन्त < आदिम-हिन्द-यूरोपीय h₃dónts

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

दाँत संज्ञा पुं॰ [सं॰ दन्त]

१. अंकुर के रूप में निकली हुई हड्डी जो जीवों के मुँह, तालू, गले ओर पेट में होती है और आहार चबाने, तोड़ने तथा आक्रमण करने, जमीन खोदने इत्यादि के काम में आती है । दंत । विशेष—मनुष्य तथा और दूध पिलानेवाले जीवों में दाँत दाढ़ और ऊपरी जबड़े के मांस में लगे रहते हैं, मछलियों और सरीसृपों में दाँत केवल जबड़ों ही में नहीं तालू में भी होते हैं । पक्षियों में दाँत का काम चोंच से निकलता है, उनके दाँत नहीं होते । असली दाँत मसूड़ों के गड्ढों में जमे रहते हैं । सरीसृप आदि में दाँत का जबड़े की हड्डी से अधिक घनिष्ट लगाव होता है । रीढ़वाले जंतुओं में मुँह को छोड़ स्त्रोत (भोजन भीतर ले जानेवाले नल) में ओर कहीं दांत नहीं होते । बिना रीढ़वाले क्षुद्र जंतुओँ में दाँतों की स्थिति और आकृति में परस्पर बहुत विभिन्नता होती है । किसी के मुँह में, किसी की अँतड़ी में अर्थात् स्त्रोत के किसी स्थान में दाँत हो सकते हैं । केकड़ा, झिंगवा आदि के पेट में महीन महीन दाँत या दंदानेदार हड्डियाँ सी होती हैं । जल के बहुत से कीड़ों में जिनका मुँह गोल या चक्राकार होता है, किनारे पर चारों ओर असंख्य महीन दातों का मंडल सा होता है । मनुष्य और बनमानुष में दंतावलि पूर्ण होती हैं, अर्थात् उनमें प्रत्येक प्रकार के दाँत होते हैं ।

दाँत तीन प्रकार के होते हैं—(१) चौका या राजदंत वर्ग (सामने के दो बड़े दाँत अर्थात् राजदंत और उनके दोनों पार्श्ववर्ती दाँत), (२) कुकुरदंत या शूलदंत, जो लंबे और नुकीले होते हैं और राजदंत के बाद दो दो पड़ते हैं, (३) चौभड़ जिनका सिरा चौड़ा और चौकोर होता है और जिनसे पीसा या चबाया जाता है । २१ या २२ वर्ष की अवस्था में जब आखिरी चौभड़ या अकिलदाढ़ निकलती है तब ३२ दाँत पूरे हो जाते हैं । बहुत से दूध पिलानेवाले जीवों को दो बार दाँत निकलते हैं । पहले बचपन में जो दूध के दाँत निकलते हैं वे झड़ जाते हैं । पीछे स्थायी दाँत निकलते हैं । दूध के दाँतों और स्थायी दाँतों की संख्या और आकृति में भी भेद होता है । मनुष्य के बच्चे में दूध के दाँत बीस होते हैं । साँप आदि विषधर जंतुओं के दाँत के भीतर एक नली होती है जिसके द्वारा थैली से विष बाहर होता है । पर्या॰—रद । दशन । द्विज । खरु । यौ॰—दाँत का चौका = सामने के चार दाँतों की लड़ी । मुहा॰—दाँत उखाड़ना = (१) दांत मसूड़े से अलग करना । (२) मुँहु तोड़ना । कठिन दंड देना । दाँतों उँगली काटना = दे॰ 'दाँत तले ऊँगली दबाना' । दाँतकाटी रोटी = अत्यंत घनिष्ट मित्रता । गहरी दोस्ती । घना मेल । जैसे,— राम और श्याम की तो दाँतकाटी रोटी है । दाँत काढ़ना = दे॰ 'दाँत निकालना' । दाँत किटकिटाना, दाँत किचकिचाना = (१) दाँत पीसना । (२) क्रोध से दाँत पीसना । अत्यंत क्रोध प्रकट करता । दाँत किरकिराना = (क्रि॰ अ॰) नीचे कंकड़ी, रेत आदि पड़ने के कारण दोतों का ठोक न चलना । दाँत किरकिरे होना = हार मानना । हार जाना । हैरान हो जाना । दाँत कुरीदने को तिनका न रहना = पास में कुछ न रह जाना । सर्वस्व चला जाना । दाँत खट्टे करना = (१) खूब हैरान करना । (२) किसी प्रकार की प्रतिद्वंद्विता या लड़ाई में परास्त करना । पस्त करना । जैसे,—मरहठों ने मुगलों के दाँत खट्टे कर दिए । उ॰—नूतन नूतन यंत्र प्रस्तुत कर विलायती व्यापारियों के दांत खट्टे करने के लिये शतशः प्रयत्न किए जा रहे हैं ।—निबंधमालादर्श (शब्द॰) । दाँत खट्टे होना = हार जाना । पस्त होना । हैरान होना । (किसी पर) दाँत गड़ना † = दे॰ '(किसी पर) दाँत लगना ।' किसी के दाँतों चढ़ना = (१) किसी के आक्षेप आदि का लक्ष्य होना । किसी को खटकना । (२) बुरी नजर का निशाना बनना । टोंक में आना । हूँस में आना (स्ञि॰) । जैसे,—बच्चा लोगों के दाँतों चढ़ा रहता है इसी से कल नहीं पाता । (किसी के) दाँतों चढ़ाना = (१) किसी पर आक्षेप करते रहना । बुरी द्दष्टि से देखना । पीछे पड़ा रहना । (२) नजर लगाना (स्त्रि॰) । दाँत चबाना = क्रोध से दाँत पीसना । कोप प्रकट करना । उ॰—दाँत चबात चले मधुपुर तें धाम हमारे को ।—सूर (शब्द॰) । दाँत जमना = दाँत निकलना । दाँत झड़ना = दाँत का टूटकर गिरना । दाँत झाड़ देना = दाँत तोड़ डालना । कठिन दंड देना । दाँत टूटना = (१) दाँत का गिरना । (२) बुढ़ा़पा आना । दाँत तले उँगली दबाना = (१) अचरज में आना । चकित होना । दंग रहना । (२) खेद प्रकट करना । अफसोस करना । (३) संकेत से किसी बात का निषेध करना । इशारे से मना करना । विशेष—जब कोई कुछ अनुचित कार्य करने चलता है तब इष्ट मित्र या गुरुजन प्रकट रूप से वारण करनेका अवसर न देख दाँतों के नीचे उँगली दबाकर निषेध करते हैं । दाँत तोड़ना = परास्त करना । पस्त करना । हैरान करना । कठिन दंड देना । उ॰—अलादीन के दाँत तोड़ि निज धर्म बचायो ।—राधाकृष्णदास (शब्द॰) । दाँत दिखाना = (१) हँसना । (२) डराना । घुड़कना । (३) अपना बड़प्पन दिखाना । दाँत देखना = घोड़े बैल आदि की उम्र का अंदाज करने के लिये उनके दांत गिनना । दाँतों धरती पकड़कर = अत्यंत दरिद्रता और कष्ट से । बड़ी किफायत और तकलीफ से । जैसे,—दाँतों धरती पकड़कर किसी प्रकार दो महीने चलाए । दाँत न लगाना = दाँतों से न कुचलना । जैसे,—दाँत न लगाना, दवा यों उतार जाना । दाँत निकलना = बच्चों के दाँत प्रकट होना । दाँत जमना, दाँत निकालना = (१) दाँत उखाड़ना । (२) ओठों को कुछ हटाकर दाँत दिखाना । (३) व्यर्थ हँसना । जैसे,— क्यों दाँत निकालते हो सीधे बैठो । (४) गिड़गिड़ना । दीनता दिखाना । हा हा खाना । जैसे,—वह दाँत निकाल माँगने लगा, तब कैसे न देते ? (५) मुँह बा देना । टें बोल देना । डर या घबराहट से ठक रह जाना । (किसी वस्तु का) दाँत निकालना = फट जाना । दरार से युक्त होना । उधड़ना । जैसे, जूती का दाँत निकालना, दीवार का दाँत निकालना । दाँत निकोसना = दे॰ 'दाँत निकालना' । दाँत निपोरना † = दे॰ 'दाँत निकालना' । दाँत पर न रखा जाना = खटाई के कारण दाँतों को सहन न होना । अत्यंत खट्टा लगना । दाँत पर मैल न होना = अत्यंत निर्धन होना । भुक्खड़ होना । जैसे,—उसके तो दाँत पर मैल भी नहीं वह तुम्हें देगा क्या ? दाँतों पर रखना = चखना । मुँह में डालना । दाँतों पसीना आना = कठिन परिश्रम पड़ना । जैसे,—इस काम में दाँतों पसीना आवेगा । (बच्चे का) दाँतों पर होना = उस अवस्था को पहुँचना जिसमें दाँत निकलनेवाले हों । दाँत पीसना = दाँत पर दाँत रखकर हिलाना । दाँत किटकिटाना । दाँत बँधवाना = हिलते हुए दाँतों को तार से कसवाना । दाँत बजना = सरदी से दाढ़ के हिलने या काँपने के कारण दाँत पर दाँत पड़ना । दाँत खट खट होना । दाँत बजाना = दाँत पर दाँत पीसना । दाँत किटकिटाना । दाँत बनवाना = गिरे हुए दाँतों के स्थान में हड्डी या सीप आदि के नकली दाँत लगवाना । दाँत बैठ जाना = मूर्छा, लकवा आदि में पेशियों की स्तब्धता के कारण दाँत की ऊपर नीचेवाली पांक्तियों का परस्पर इस प्रकार मिल जाना कि मुँह जल्दी न खुल सके । नीचे ऊपर के जबड़ों का सट जाना । दाँत मसमसाना या दांत मीसना = दे॰ 'दाँत पीसना' । (किसी का) दाँतों में जीभ सा होना = बैरियों के बीच रहना । शत्रुओं से प्रतिक्षण घिरा रहना । दाँतों में तिनका- लेना = दया के लिये बहुत विनती करना । दंड आदि के छुटकारे के लिये बहुत गिड़गिड़ाना । बहुत अधीरता और विनय से क्षमा चाहना । हा हा खाना । (किसी वस्तु पर) दाँत रखना = (१) लेने की गहरी चाह रखना । प्राप्ति के प्रयत्न में रहना । (२) दंश रखना । कीना रखना । किसी के प्रति क्रोध या द्वेष का भाव रखना । बैर लेने का विचार रखना । (किसी वस्तु पर) दाँत लगना = (१) दाँत धँसना । दाँत चुभने का घाव होना । (२) लेने की गहरी चाह होना । प्राप्ति की चिंता होना । जैसे,—जबकि उस चीज पर उसका दाँत लगा है तब वह कब तक रह सकती है । विशेष—बिल्ली आदि शिकारी जानवर जिस जंतु को एक बार मुँह से पकड़ लेते हैं फिर उसे जाने नहीं देते । इसी से यह मुहा॰ बना है । (किसी वस्तु पर) दाँत लगाना = (१) दाँत धँसाना । (२) लेने की गहरी चाह रखना । प्राप्ति के प्रयत्न में रहना । लेने की घात में रहना । दाँत से दाँत बजना = सरदी के कारण दाढ़ के कँपने से दाँत पर दाँत पड़ना । दाँतों से उठाना = बड़ी कंजूसी से उठाकर रखना । कृपणंता से संचित करना । जैसे,—एक दाना गिरे तो यह दाँतों से उठावे । किसी पर दाँत होना = (१) गहरी चाह होना । लेने या पाने की अत्यंत अधिक इच्छा होना । प्राप्ति की इच्छा होना । जैसे,—जिस वस्तु पर तुम्हारा दाँत है वह कब तक रह सकती है । (२) किसी के प्रति दंश होना । किसी के प्रति क्रोध या द्वेष का भाव होना । किसी से बैर लेने का संकल्प होना । जैसे,—जब कि उसपर तुम्हारा दाँत है तब वह कितने दिनों तक बच सकता है ? (किसी के) तालू में दाँत जमना = बुरे दिन आना । शामत आना । जैसे,—किसके तालू में दाँत जमे हैं जो ऐसी बात मुँह से निकाल सके?

२. दाँत के आकार की निकली हुई वस्तु । अंकुर की तरह निकली हुई नुकीली वस्तु जो बहुतों के साथ एक पंक्ति में हो । दंदाना । दाँता । जैसे,—आरी के दाँत, कंधी के दाँत ।