हत्या (1988 फ़िल्म)
हत्या | |
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हत्या का पोस्टर | |
निर्देशक | कीर्ति कुमार |
लेखक | कादर ख़ान (संवाद) |
पटकथा | केशव राठौड़ |
निर्माता |
कीर्ति कुमार गोविन्दा |
अभिनेता |
गोविन्दा, नीलम, अनुपम खेर, सुजीता |
संगीतकार | बप्पी लहरी |
प्रदर्शन तिथियाँ |
3 जून, 1988 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
हत्या 1988 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह कीर्ति कुमार द्वारा निर्देशित है और इसमें गोविन्दा, नीलम, अनुपम खेर और सुजीता मुख्य कलाकार हैं।
संक्षेप
[संपादित करें]सागर (गोविन्दा) अमीर लेकिन उदार युवक है। एक रात बहुत अधिक शराब पीने के बाद उसे एक बेघर और यतीम युवा लड़का मिलता है। वह लड़के को घर ले जाता है और उसे पता चलता है कि वह बहरा है। वह उसका पालन-पोषण करने का प्रयास करता है और उसका नाम राजा रखता है। वह उससे जानकारी हासिल करने की कोशिश करता है लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आता। राजा की माँ की उसके सामने बेरहमी से हत्या कर दी गई थी (सुरेन्द्र मोहन और उसके गुर्गे रंजीत द्वारा)। सागर राजा को मेले में ले जाता है। वहां राजा रंजीत को देखता है और सागर को यह बताने की कोशिश करता है कि उसने ही उसकी माँ की हत्या की है।
धीरे-धीरे सागर को कहानी समझ में आ जाती है। उसकी मुलाकात एक लड़की सपना (नीलम) से होती है और वह दोस्त बन जाते हैं। वह उन्हें अपने घर ले जाती है। राजा सपना, उसके पिता और अपनी मां की तस्वीर देख चौंक जाता है। सागर राजा की घटना का रहस्य उजागर करना चाहता है। उसे पता चलता है कि राजा की माँ की हत्या कर दी गई है। जैसे ही वह सुराग ढूंढ रहा था, उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। उसकी बेगुनाही साबित करने के लिए राजा उन्हें अपने घर ले जाता है जहाँ एक खुशहाल परिवार रहता था। सुराग ढूंढने के लिए वे खोजी कुत्ते की मदद लेते हैं। कुत्ता घर के बाहर फर्श सूँघता है। लोगों ने उसे खोदा और कपड़े का एक टुकड़ा पाया, जिसमें उसकी माँ को लपेटकर दफनाया गया था।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- गोविन्दा — सागर
- नीलम — सपना नाथ
- अनुपम खेर — सुरेन्द्र मोहन
- सुजीता — राजा
- बॉब एंथनी — रंजीत
- जॉनी लीवर — लौहार
- राज किरन — इंस्पेक्टर
- ओम शिवपुरी — कैलाश नाथ
- सत्येन कप्पू — फादर
- सतीश कौल — मोहन
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत इंदीवर द्वारा लिखित; सारा संगीत बप्पी लहरी द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "आप को अगर ज़रूरत है" | आशा भोंसले, किशोर कुमार | 7:36 |
2. | "मैं प्यार की पुजारन" | सपना मुखर्जी, मोहम्मद अज़ीज़ | 6:55 |
3. | "मैं तो हूँ सब का" | कीर्ति कुमार | 6:39 |
4. | "घूँघट के पट खोल" | कीर्ति कुमार | 8:36 |
5. | "ज़िन्दगी महक जाती है" | के जे यसुदास, लता मंगेशकर | 6:10 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1989 | लीलाधर सावंत | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन पुरस्कार | जीत |
जे पी सहगल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ ध्वनि डिज़ाइन पुरस्कार | जीत |