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हल

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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हल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह यंत्र या औजार जिससे बीज बोने के लिये जमीन जोती जाती है । वह औजार जिसे खेत में सब जगह फिराकर जमीन को खोदते और भुरभुरी करते हैं । सीर । लांगल । विशेष—यह खेती का मुख्य औजार है और सात आठ हाथ लंबे लट्ठे के रूप में होता है, जिसके एक छोर पर दो ढाई हाथ का लकड़ी का टेढ़ा टुकड़ा आड़े बल में जड़ा रहता है । इसी आड़ी लकड़ी में जमीन खोदनेवाला लोहे का फाल ठोंका रहता हैं । लंवे लट्ठे को 'हरिस' या 'हर्सा' और आड़ी जड़ी लकड़ी को 'हरैना' कहते हैं । क्रि॰ प्र॰—चलाना । मुहा॰—हल जोतना = (१) खेत में हल चलाना । (२) खेती करना ।

२. एक अस्त्र का नाम । विशेष—श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का यह प्रसुख अस्त्र था । इसी से उनका एक नाम 'हल्ली' भी है ।

३. जमीन नापने का लट्ठा ।

४. बृहत्संहिता के अनुसार उत्तर के एक देश का नाम ।

५. सामुद्रिक के अनुसार पैर की एक रेखा या चिह्व ।

६. प्रतिषेध । विघ्न । बाधा (को॰) ।

७. कुरूपता । विकृतियुक्तता । भद्दापन (को॰) ।

८. एक नक्षत्रसमूह (को॰) ।

९. कलह । विवाद । झगड़ा (को॰) ।

हल ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰]

१. हिसाब लगाना । गणित करना ।

२. किसी कठिन बात का निर्णय । किसी समस्या का समाधान (या उत्तर) । जैसे—यह मुश्किल किसी तरह हल होती दिखाई नहीं देती ।

३. मिलकर एकमेक हो जाना । घुलना । उलझन का सुलझना या खुल जाना (को॰) ।

४. किसी गणित या अन्य विषय के प्रश्न का उत्तर या जवाब (को॰) ।