सूखा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सूखा ^१ वि॰ [सं॰ शुष्क] [वि॰ स्त्री॰ सूखी]
१. जिसमें जल न रह गया हो । जिसका पानी निकल, उड़ या जल गया हो । जैसे— सूखा तालाब, सूखी नदी, सूखी धोती ।
२. जिसका रस या आर्द्रता निकल गई हो । रसहीन । जैसे,—सूखा पत्ता, सूखा फूल ।
३. उदास । तेजरहित । जैसे,—सूखा चेहरा ।
४. हृदयहीन । कठोर । रूढ़ । जैसे,—वह बड़ा सूखा आदमी है ।
५. कोरा । जैसे,—सूखा अन्न, सूखी तरकारी ।
६. केवल । निरा । खाली । जैसे,—(क) वह सूखा शेखीबाज है । (ख) उसे सूखी तनखाह मिलती है । मुहा॰—सूखा टरकाना या टालना = आकांक्षी या याचक आदि को बिना उसकी कामना पूरी किए लौटाना । सूखा जवाब देना = साफ इनकार करना । उ॰—वे भला आप सूख जाते क्या । मुख न सूखा जवाब सूखा सुन ।—चुभते॰, पृ॰ १३ । सूखी नसों में लहू भरना = निराशों में आशा का संचार करना । उ॰—हम/??/ सूखी नसों में लहू भरते थे । चुभते॰ (दो दो॰), पृ॰ २ ।
सूखा ^२ संज्ञा पुं॰
१. पानी न बरसना । वुष्टि का अभाव । अवर्षण । अनावृष्टि । उ॰—बारह मासउ उपजई तहाँ किया परबेस । दादू सूखा ना पड़इ हम आए उस देस ।—दादू (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।
२. नदी के किनारे की जमीन । नदी का किनारा । जहाँ पानी न हो । मुहा॰—सूखे पर लगना = नाव आदि का किनारे लगना ।
३. ऐसे स्थान जहाँ जल न हो ।
४. सूखा हुआ तंबाकू का पत्ता जो चूना मिलाकर खाया जाता है । उ॰—भंग तमाखू सुलफा गाँजा, सूखा खूब उड़ाया रे ।—कबीर॰ श॰, भा॰ १, पृ॰ २५ ।
५. भाँग । विजया ।
६. एक प्रकार की खाँसी जो बच्चों को होती है, जिससे वे प्रायः मर जाते हैं । हब्बा डब् बा ।
७. खाना अंग न लगने से या रोग आदि के कारण होनेवाला दुबलापन । मुहा॰—सूखा लगना = सुखंडी नामक रोग होना । ऐसा रोग लगना जिससे शरीर बिलकुल सूख जाय ।