पटरी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पटरी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ पटरा]
१. काठ का पतला और लंबोतरा तख्ता । मुहा॰—पटरी जमना = धुड़सवारी में जीन पर सवार का रानों को इस प्रकार चिपकाना कि घोडे़ के बहुत तेज चलने या शरारत करने पर भी उसका आसन स्थिर रहे । रान बैठाना या जमाना । पटरी बैठना = मन मिलना । मिञता होना । मेल होना । पटना । जैस,—हमारी उनकी पटरी कभी न बैठेगी ।
२. लिखने की तख्ती । पटिया ।
१. वह चौड़ा खपड़ा जिसपर नरिया जमाते हैं ।
४. सड़क के दोनों किनारों का वह कुछ ऊँचा और कम चौड़ा भाग जो पैदल चलनेवालों के लिये होता है ।
५. नहर के दोनों किनारों पर के रास्ते ।
६. बगीचों में क्यारियों के इधर उधर के पतले पतले रास्ते जिनके दोनों और सुंदरता के लिये घास लगा दी जाती है । रविश ।
७. सुनहरे या रूपहले तारों से बना हुआ वह फीता जिसे साड़ी, लहँगे या किसी कपड़े की कोर पर लगाते हैं ।
८. हाथ में पहनने की एक प्रकार की पट्टीदार चौड़ी चूड़ी़ जिसपर नक्काशी बनी होती हैं ।
९. जंतर । चौकी । ताबीज ।