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ऋषि

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ऋषि संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वेदमंत्रों का प्रकाश करनेवाला । मंत्र- द्रष्टा । आध्यात्मिक और भौतिक तत्वों का साक्षात्कार करनेवाला । विशेष—ऋषि सात प्रकार के माने गए हैं—(क) महर्षि, जैसे, व्यास । (ख) परमर्षि जैसे, भेल । (ग) देवर्षि, जैसे, नारद । (घ) ब्रह्मर्षि, जैसे, वसिष्ठ । (च) श्रुतर्षि, जैसे सुश्रुत । (छ) राजर्षि, जैसे ऋतुपर्ण और (ज) कांडर्षि, जैसे जैमिनि । एक पद ऐसे सात ऋषियों का माना गया है जो कल्पांत प्रलयों में वेदों को रक्षित रखते हैं । भिन्न भिन्न मनवतरों में सप्तर्षि के अंतर्गत भिन्न भिन्न ऋषि माने गये हैं । जैसे, इस वैवस्वत मन्वंतर के सप्तर्षि ये हैं—कश्यप, अत्रि, वश्ष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भरद्वाज । स्वायंभुव । मन्वंतर के— मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु और वशिष्ठ । यौ॰—ऋषिऋण । ऋषिकल्प=ऋषितुल्य । ऋषिकुमार=ऋषि का पुत्र । ऋषिगिरि=मगध का एक पर्वत । ऋषिपचमी । ऋषि— मित्र । ऋषिराज । ऋषिवर्य । ऋषिसाह्वय=श्रृषिपत्तन । ऋषिस्वाध्याय ।