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अमृत

विक्षनरी से

यह एक ऐसा पेय पदार्थ होता है, जिससे पीने के बाद कोई मृत नहीं होता है।

संधि

अ + मृत = अमृत ( अ का उपयोग उसके नकारात्मक अर्थ में करते हैं।)

पर्यायवाची शब्द

सुधा, सोम, पीयूष, अमिय

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अमृत ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह वस्तु जिसके पीने से जीव अमर हो जाता है । पुराणनुसार समुद्रमंथन से निकले १४ रन्तों में से एक । सुधा । पीयूष । निर्जर ।

२. जल ।

३. घी ।

४. यज्ञ के पीछे की बची हुई सामग्री ।

५. अन्न ।

६. मुक्ति ।

७. दूध ।

८. औषधि ।

९. विष ।

१०. बछनाग ।

११. पारा ।

१२. धन ।

१३. सोना ।

१४. हृद्य पदार्थ ।

१५. वह वस्तु जो बिना माँगे मिले ।

१६. सुस्वादु द्रव्य । मीठी या मधुर वस्तु ।

१७. अमर । देवता (को॰) । उ॰—राजकुमार, ब्राह्मण.... स्वराज्य में बिचरता है और अमृत होकर जीता है ।— चंद्र॰ पृ॰ ५६ ।

१८. धन्वंतरी (को॰) ।

१९. इंद्र (को॰) ।

२०. सूर्य (को॰) ।

२१. शिव (को॰) ।

२२. विष्णु (को॰) ।

२३. सोमरस (को॰) ।

२४. पानी (को॰) ।

२५. चार की संख्या (को॰) ।

२६. निर्गुण मतानुसार वह रस जो तालुमूल— स्थित चन्द्रमा से स्त्रवित होता है और जिसे योगी साधना द्वारा जीभ को उलटा करके पीता है ।

२७. बाराही कंद (को॰) ।

२८. परब्रह्म (को॰) ।

२९. भात (को॰) ।

अमृत ^२ वि॰ [सं॰]

१. जो मरा न हो ।

२. जो मरणशील न हो ।

३. अमरत्व प्रदान करनेवाला ।

४. अविनश्वर । शाश्वत ।

५. प्रिय । अभीष्ट । सुंदर [को॰] ।