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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शण] बोया जानेवाला एक प्रसिद्ध पौधा जिसकी छाल के रेशे से मजबूत रस्सियाँ आदि बनती है । विशेष—यह तीन साढ़े तीन हाथ ऊँचा होता है और इसका कांड सीधी छड़ी की तरह दूर तक ऊपर जाता है । फूल पीले रंग के होते हैं । कुआरी फसल के साथ यह खेतों में बोया जाता है और भादों कुआर में तैयार होता है । रेशेदार छिलका अलग करने के लिये इसके डंठल पानी में डालकर सड़ाए जाते हैं ।
सन पु † ^२ प्रत्य॰ [सं॰ सुन्तो या सङ्ग] अवधी में करणकारक का चिह्न । से । साथ ।
सन ^३ संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰] वेग से निकल जाने का शब्द । जैसे,—तीर सन से निकल गया ।
सन ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों में से एक मानस- पुत्र ।
२. हाथी का कान फड़फड़ाना (को॰) ।
३. समर्पण । भेंट (को॰) ।
४. भोजन । आहार (को॰) ।
५. लाभ । प्राप्ति (को॰) ।
६. घंटापाटलि वृक्ष ।
सन ^५ वि॰ [अनु॰ सुन]
१. सन्नाटे में आया हुआ । स्तव्ध । ठक ।
२. मौन । चुप । मुहा॰—जी सन होना = चित्त स्तब्ध होना । घबरा जाना ।